दे गळू कार्पण्य 'मी'चे, दे धरू सर्वांस पोटी --भावनेला येऊ दे गा, शास्त्रकाट्याची कसोटी
हर-चन्द सुबुक-दस्त हुए बुत-शिकनी मेंहम हैं तो अभी राह में है सन्ग-ए गिरां और