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This book seems to be related to my post on the emergent role of social networks in mass mobilization. Adding to read queue.
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दे गळू कार्पण्य 'मी'चे, दे धरू सर्वांस पोटी --
भावनेला येऊ दे गा, शास्त्रकाट्याची कसोटी
हर-चन्द सुबुक-दस्त हुए बुत-शिकनी में
हम हैं तो अभी राह में है सन्ग-ए गिरां और
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